घिरा हूँ आज कुछ ऐसे चक्रव्यूह में फंसा अभिमन्यु हो जैसे। घिरा हूँ आज कुछ ऐसे चक्रव्यूह में फंसा अभिमन्यु हो जैसे।
आयेगा ,अवश्य आयेगा वह नया विहान , जब नए सिरे से होगी इन्सान की पहचान। आयेगा ,अवश्य आयेगा वह नया विहान , जब नए सिरे से होगी इन्सान की पहचान।
कई पीड़ाएं झेलकर तूने मुझे जन्म दिया माँ! कई पीड़ाएं झेलकर तूने मुझे जन्म दिया माँ!