सन्देश
सन्देश
घिरा हूँ आज कुछ ऐसे
चक्रव्यूह में फंसा
अभिमन्यु हो जैसे
चारो ओर से हो रही है
वाणों की वर्षा
ज्यादा देर मैं भी ना लड़ पाऊँ
शायद अभिमन्यु जैसे वीरगति पाऊँ
पर सन्देश नई दे जाऊँगा
कायर नही वीर कहलाऊंगा
नई ऊर्जा नई दिशा नई योजना
जग मुझसे पायेगा
एक दिन मुझमें
राह अपनी खोज पायेगा।