धारणा
धारणा
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तुमने पत्थर की कठोरता
तो देखी
उसमें बसती आग
भी देखी
पर किया कभी
तुमने
महसूस
उसकी कोमलता
उसकी संवेदना
उसकी करुणा नहीं
क्योंकि तुम्हारी
धारणा
हमेशा उसे महसूस किये बिना थी
उसे जाने बिना थी
दूसरों से सुनकर बनी थी
पत्थर को भी दुःख होता है
कभी उसको भी समझो
विचार बनाने से पहले
उसके अंतर्मन में झाँको।
