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Santosh Supekar

Tragedy

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Santosh Supekar

Tragedy

यंत्र, पीड़ा झेलने वाला

यंत्र, पीड़ा झेलने वाला

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कई पीड़ाएं झेलकर 

तूने मुझे जन्म दिया माँ

पीड़ा में कोई मुस्कुराए

वह,हो सकती है, सिर्फ माँ

और मैं,बिना किसी पीड़ा को झेले 

तुझे बारम्बार मारता रहता हूँ माँ!

अपने शब्दों से,व्यंग्यबाणों से

उसी मुख से ,जिससे तूने मुझे 

पहली बार बोलना सिखाया था, माँ

और यह सब सुनकर भी तू 

सामान्य रहती है, माँ।

मै कहाँ जानता हूँ कि 

तू यंत्र है माँ, पीड़ा झेलने वाला 

जिसकी बैटरी,अपनों से त्रास भुगतकर 

भी हो सकती है चार्ज।।



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