STORYMIRROR

Vijay Kumar parashar "साखी"

Children Stories Drama Classics

4  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Children Stories Drama Classics

अभिमन्यु

अभिमन्यु

1 min
23K

गर्व के ऊपर भी अपना पैर रख गया था अभिमन्यु

सात महारथियों से अकेला लड़ गया था अभिमन्यु

दुःख उसे बस इतना ही रह गया था की रण में,वो

कायरों के हाथों क्यों वीरगति पा गया था अभिमन्यु

एक जयद्रथ के छल से जल गया था अभिमन्यु

श्रीकृष्ण का भांजा,अर्जुन-सुभद्रा का वो लाडला,

युवाओं के लिये जिंदा मिशाल बन गया था अभिमन्यु

एक-एक महारथी से वो 100-100 बार लड़ा था,

छल-कपट के चक्रव्यूह को न जान पाया अभिमन्यु

वो द्वापरयुग था,आज कलयुग है,ये बड़ा छल युग है,

आज भी हर जगह छल से ही मर रहा है अभिमन्यु

इस छल को छल से ही जानना तू सीख ले साखी,

श्रीकृष्ण के सुदर्शन से भी घातक है,ये छलमन्यु

ये बात तू जान ले ओ रे भोले कलियुग के अभिमन्यु



Rate this content
Log in