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Deepti Tiwari

Romance Tragedy

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Deepti Tiwari

Romance Tragedy

मन भर गया

मन भर गया

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अब किसी से उलझने का मन नहीं करता,

तुम हो गलत जानती हूं पर अब झगड़ने का मन नहीं करता ,

बस अब मन भर गया,

तुम कभी हमारे हुए ही नहीं,

बस अपने में रहें और तुमसे जी ऊब गया,

न जाने कैसी ज़दगी चाहते थे तुम,

किस सब कुछ मेरा उजड़ गया,

न कोई शिकायत न कोई बहाना,

तुम चले गए अपने रास्ते,

बस वहीं झूठा बहाना,

पतझड़ कि तरह सब कुछ लुटा के बैठे थे,

तुम भी तो सब कुछ उड़ा के बैठे थे,

जीवन ना हुआ मझधार हो गया,

सुख में तो सब पर दुख का कोई साझेदार ना हुआ,

बस खुद को समेटे चले जा रहे हैं,

अभी दूर है मंजिल सब से बेखबर,

चले जा रही हूं इसी हिसाब से,

की वो दिन दूर नहीं जब सब कुछ मेरे पास होगा,

तू आना भी चाहे पर तेरे पास तेरा नाम और तेरा औकात ना होगा।।



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