आशियाना
आशियाना
चलो हंसकर चलते चलते
कुछ बात करते हैं
एक बार नहीं
सौ बार करते हैं
खुशियों का मौसम, आएगा कि नहीं
चलो कुछ गुफ्तगू गमों के साथ करते हैं
कभी तुम न समझे मुझे कभी मुझसे कुछ खता हो गई
भूल जाते हैं सब भूली बिसरी यादों को
चलो कुछ नया इतिहास से जुदा वर्तमान लिखते हैं
जो साथ दिया तुमने तो मुकम्मल हो जाएगी यह दुनिया
बेजान जिस्म को मिल जाएगी एक रूह
अपना आशियाना बनाने के लिए चलो हंसकर साथ चलते हैं
जिंदगी के सफर को हम मंजिल पर
हमसफर बन कर एक कदम तू एक कदम मैं
मिलकर जिंदगी भर साथ चलते हैं ।