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Rajni Sharma

Romance

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Rajni Sharma

Romance

फर्ज हूँ मैं

फर्ज हूँ मैं

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जानते हो तुम ख्यालों में हो 

खैरीयत में हो ख्वाबों में हो मेरे

तो अनसुलझे सवालों में भी हो, तुम।


अरे ! मुझे, खबर क्यों न हुई 

कब तज्किय (शुद्धिकरण) से कब

रूहुल कुद्स (पवित्र आत्मा) से 


कब मेरी शरियत के बिन

इकतिला कव्वाम(संरक्षक)

बन गए, तुम।


चलो जो भी हुआ फरियाद से हुआ,

अब कुछ पूछूँ तुमसे फर्ज हूँ मैं

तेरी या फज़ल (अनुकम्पा) का रुप 

आजिला (शीघ्र प्राप्त होने वाला संसारिक सुख)

से मुझे तवाफ़(परिक्रमा) करूँ पूर्ण।


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