STORYMIRROR

neha sharma

Tragedy Inspirational

4  

neha sharma

Tragedy Inspirational

दोस्ती

दोस्ती

1 min
307

जिस दोस्त से मिलने को तड़पती रही

जिस दोस्त की हर पल तलाश करती रही

जब मिली उससे तो पता चला,,,,,

वो तो भूल चुकी थी मुझको बहुत पहले ही

उसे तो मेरी कभी याद ही ना आई

एक मैं पागल उसके साथ बीते पलों को

याद कर उससे मिलने को बेकरार रही

मैं मिली उससे एक दोस्त की तरह और

वो तो दुनियादारी का दिखावा करती रही 

उसकी बातों में हमारी दोस्ती नजर ही नहीं आई

वो दोस्त नहीं किसी की पत्नी बन सामने आई

कितनी खुशी मिलती है जब बचपन का दोस्त मिलता है

वो खुशी मेरे अलावा उसके होंठों पर नहीं आई

जितनी बेताबी थी उससे मिलने की मन में

उतना ही अब उससे दूर जाने का मन हुआ

वो अब दोस्ती नहीं दुनियादारी निभाने लगी

दोस्ती की नींव अब डगमगाने लगी 

लौट आई उसी पांव मैं अपने घर पर

मैं भी उसको अब भूल अपने रिश्तों को निभाने लगी,,,,



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy