उलझते
उलझते
उलझते उलझते एक रोज
मोहब्बत हो गई उन्हें हमसे
हम सुलझे से रहते थे जो
न जाने क्यू उलझ गए उनसे
खता ये हुई बस हमसे कि
नजरे उनसे दो चार हो गई
उन्हें लगा ऐसा कि हमें मोहब्बत
उनसे पहली ही बार में हो गई,,,।।

