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SHALINI SINGH

Tragedy

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SHALINI SINGH

Tragedy

क्षमा !

क्षमा !

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इक अरसा बीत गया अब भूल जाओ,

ऑंखों से ना कहो, न अधरों पर लाओ. 

ज़हन में जो हैं सिमटे दर्द कई, 

कहते हैं लोग उसे छुपा, मुस्कुराओ.

है दर्द कि आँखों से छलक ही आता है

जब बेबसी का वो मंज़र नज़र आता है.


नासमझी है या है सकुचाहट, 

बेशर्मी में क्या ये अदब की मिलावट,

पाप से घृणा करो पापी से नहीं,

फिर क्यों राम ने धनुष ताना,

क्युँ सुदर्शन उठाते है कान्हा,

आज सवाल हैं मन में अनसुने कई, 

जवाब जिनके हैं कहीं भी नहीं. 


माता सीता, क्या आप क्षमा कर पायीं रावण को? 

माता द्रौपदी, क्या आप क्षमा कर पायीं राजा युधिष्ठिर को?


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