Astitva: एक ख़्वाब
Astitva: एक ख़्वाब
दिल जो चाहे बस तु वही है,
ईबादत है ज़िंदगी की,
ख़्वाहिशें भी तेरे होने की आस लगाए खड़ी है।
तु है वो जो दिल चाहता है कहना,
बेजुबां बैठूँ तो है खुली आँखों का सपना।
तू है जो कहानियाँ बयां भी ना कर पाएं,
तू है जो दास्तानों में चुप सहमि सी मुस्कुराए।
उजले दिन का सूरज डूबता तेरे आँचल में,
नदियों से हवा बहे जैसे साँसों में।
एक ख़्वाब जो हक़ीकत का रुख़ ही बदल दे,
ख़ुद को तराश आईने में,
मुस्कुरा और अपने सफ़र पर चल दे ।
