तिरंगा
तिरंगा
अगर दिल में है मान,
बेझिझक तिरंगा फ़हराओ,
ख़ास दिनों की तुम बाँट ना ताको,
मिले तो जंमीं से उठा सीने से लगाओ,
गर कहता है ज़मीर कि भक्ति है,
तो भक़्त बन माँ की लाज बचाओ,
जो ख़ुद की माँ के हो ना सके,
माँ भारती के पूत न कहलाओ,
देश भक्ति का अमर प्रेम है,
दिन देख कर तो न जीता है,
तुम शान से तिरंगा फ़हरा दो,
इस रक़्त में तिरंगा बहता है।
