वो नज़र...!
वो नज़र...!
उनको तो जाना था सबको छोड़ चली गई
ख़ामोशी से चिरनिंद्रा के आग़ोश में सो गई
पर...
जाते जाते उनकी वो नज़र
कुछ तलाशती रही
शायद..
दया /
प्रेम /
अपनत्व /
परवाह /
उलझनों से आजादी
या फिर..
भूख की गोली /
उसकी मिठी बोली /
सुकूँ की नींद
कुछ भी पर क्या कोई समझ नहीं सका
और वो...
चुपचाप..
तड़पते हुए तिल तिल कर
चिरनिद्रा के आग़ोश में...!!
