स्मृति--२५ सितंबर(आरती दत्त)
स्मृति--२५ सितंबर(आरती दत्त)
ओ सासु माँ जी! आपसे मैं
इस बेशक़ीमती ज़िन्दगी में
कभी मिल न पाया...
ये मेरा दुर्भाग्य ही है!
आपने अपने
अतिसंघर्षमय जीवनावधि में
बहुत कुछ सहा है,
(ये मुझे भी पता है!)
लेकिन आपने
अनगिनत समस्याओं के आगे
कभी माथा नहीं टेका,
बल्कि बड़े साहस एवं धैर्य से
उनका मुकाबला किया...
ओ सासु माँ जी! आज आप
इस दुनिया में नहीं हैं,
(२५ सितंबर, २०१४,
बृहस्पतिवार का वो दुःखदायी दिन,
जब आप इहलीला समाप्त कर
दूर आसमां पे
सितारों की दुनिया में समा गए...),
मगर फिर भी
आपकी स्मृति रोमंथन कर
मेरा मन बरबस सोचने लगता है
कि क्यों ऊपरवाले ने
इतनी जल्दबाज़ी कर डाली...!!!
ओ सासु माँ जी! ४ नंबर वार्ड, ज्योतिनगर, (भद्रपाड़ा) धेमाजी का
आपका निवास-स्थान आज भी
आपको तलाशता है...
मगर जीवन-मृत्यु तो
एक चिरंतन सत्य है,
जिसे कोई झुठला नहीं सकता...!
जिसे ज़िन्दगी नसीब होती है,
एक दिन उसे इस दुनिया से
रुखसत होना ही पड़ता है...
बस जानेवाले की अच्छाइयों को ही
लोग याद रखते हैं...!
ओ सासु माँ जी ! आप स्वर्गधाम के
निवासी बन अपने "अपनों को"
दिल से आशीर्वाद दें...
आपको दीपिका और
मेरा कर जोड़ नमन...!!!
हरि ओम्... हरि ओम्...हरि ओम्...
