तारीख़े भी कभी इनाम की हक़दार होती है क्योंकि वे कुछ राज़ पोशीदा रखती है तारीख़े भी कभी इनाम की हक़दार होती है क्योंकि वे कुछ राज़ पोशीदा रखती है
तुच्छ काँटों को जिंदगी की सहर पलको से निकालती रही। तुच्छ काँटों को जिंदगी की सहर पलको से निकालती रही।
अगर सब ख़ुद की सोच बदल ले तो कोई जात पात रुपए पैसे से होने वाले फसाद ही नहीं होंगे। अगर सब ख़ुद की सोच बदल ले तो कोई जात पात रुपए पैसे से होने वाले फसाद ही नहीं ...
जब सत्ताकेंद्र मर्यादा से आगे बढता है तो उस वक्त उसे उसकी गलती का एहसास करा देना चाहिए... जब सत्ताकेंद्र मर्यादा से आगे बढता है तो उस वक्त उसे उसकी गलती का एहसास करा देना...
हूकूमत में चलेगी सिर्फ बादशाह की मनचाही चाल, ग़ुस्ताख़ी मत कीजिए पूछकर उनसे मुश्किल सवाल, पड़ जाएग... हूकूमत में चलेगी सिर्फ बादशाह की मनचाही चाल, ग़ुस्ताख़ी मत कीजिए पूछकर उनसे मुश...
वह मन ही मन सोचने लगा मेरी कविता क्या नहीं कर सकती है? वह मन ही मन सोचने लगा मेरी कविता क्या नहीं कर सकती है?