कालजयी कविता
कालजयी कविता
यूँ ही आज किसी ने कवि को कहा,
"जैसे किसान खेतों में काम करता है क्या तुम कर सकते हो?"
कवि की खामोशी देख वह फिर कहने लगा,
"सरहद के जवान की तरह क्या तुम देश की रक्षा कर सकते हो?"
कवि को कागज़ कलम में उलझते देख वह कहने लगा,
"क्या तुम अस्पताल में रोगियों की सेवा कर सकते हो?"
"तुम नहीं कर सकते क्योंकि तुम सिर्फ शब्दों से ही खेल सकते हो...."
उन बातों से कवि परेशान होकर मन ही मन सोचने लगा
मेरी कविता क्या नहीं कर सकती है?
कविताएँ तो अवाम में ऊर्जा भर कर हुक्मरानों को चुनौती देती है
और हुक्मरानों को सत्ता से बाहर भी कर सकती है...
मैं सिर्फ़ लफ़्ज़ों से खेलनेवाला कोई बाज़ीगर नहीं हूँ ....
कविताएँ कल भी पढ़ी जाती थी और आज भी.....
कुछ कविताएँ कालजयी होती है.....
पृथ्वी के ललाट पर लिखी हुई जैसी कोई इबारत सी ....
तुम्हारे जैसे कोई आम शै यह कैसे जानेगा भला?
