अपनी मैय्यत पर तुझको अब, खुद ही से बता बुलाऊँ कैसे।। अपनी मैय्यत पर तुझको अब, खुद ही से बता बुलाऊँ कैसे।।
अपना कत्ल अक्सर वो ही करते है, जिनके ऊपर अपने कंधे टिके होते है अपना कत्ल अक्सर वो ही करते है, जिनके ऊपर अपने कंधे टिके होते है
वह मन ही मन सोचने लगा मेरी कविता क्या नहीं कर सकती है? वह मन ही मन सोचने लगा मेरी कविता क्या नहीं कर सकती है?
जो ख़ुद गुमराह हैं, झूठे हैं, वो क्या दूसरों को सलाह देंगे ? जो ख़ुद गुमराह हैं, झूठे हैं, वो क्या दूसरों को सलाह देंगे ?
मिटा दो या मिट जाओ दुनिया की तारीख पन्नों का अल्फाज बनाना सीखो।। मिटा दो या मिट जाओ दुनिया की तारीख पन्नों का अल्फाज बनाना सीखो।।