" दोस्ती, प्यार, धोखा एक साथ ? "
" दोस्ती, प्यार, धोखा एक साथ ? "
बहुत सा विश्वास , प्यार, दोस्ती, सम्मान, इज्ज़त,
आदर और अपनेपन की थी चाहत ...
मगर आप को इन सब से दूर दूर तक
ना तो कोई रिश्ता था, ना ही था एहसास
आप को तो सिर्फ दूसरों के भावनाओं के साथ
खेलना और मज़ा लेने की आदत है
और अपमान, लांछन सारा लगा के वहां से
भाग जाना ही था आपका पुरानी आदत ।।
फिर कोई नया क़िस्सा शुरू करना है और फिर
ख़तम करके वहां से भी भाग जाना है
कितना भागोगे, कहां तक भागोगे
और कब तक भागोगे ??
कभी ना कभी तुम्हारा ये गंदा खेल का
अंत तो जरूर होगा ।।
जो ख़ुद गुमराह हैं, झूठे हैं,
वो क्या दूसरों को सलाह देंगे ?
दूसरों की परीक्षा लेंगे ?
कभी अपने को शीशे के सामने देखो
तुम्हारे सारे कर्म को एक बार
चुप चाप देखो और सोचो ...
क्या तुम दूसरों को ठगते हो ?
क्या तुम पीठ पीछे उनकी निंदा करते हो ?
उनका मज़ाक उड़ाते हो ?
उनकी गोपनीय बातों को
सरे आम नीलाम करते हो ?
उनके दुश्मनों के साथ मिलकर
षड्यंत्र रचते हो ?
जो तुमसे निभाएं दोस्ती ईमानदारी से
उन्हीं के साथ तुम बेवफाई करते हो?
किस बात की घमंड और अकड़ है ?
दूसरों को बदनाम करके,
उनका अपमान, निरादर करके
उनके दिल को दुःख दे के ।।
कौन सा सुख संपत्ति हासिल कर लिया ?
जो भी हासिल किए हो
क्या वो सब चीज़ अपने साथ
ले पाओगे या रख पाओगे ???
आख़िर में हम सबको ईश्वर के सामने
हिसाब देना होता है कि
हमने इस मनुष्य के जन्म लेकर
क्या क्या किए हैं ?
जब ईश्वर न्याय करते हैं....
तो उसमें किसी का भी दखल नहीं होता
ना तो वो किसी की गवाही लेते हैं
ना कोई रिश्वत लेते हैं
ना किसी के जात, धर्म देखते हैं
ना ही किसी सर्टिफिकेट में आया हुआ
मार्क्स, ग्रेड, या क्लास देखते हैं ।।
ना ही किसी का स्टेटस देखते हैं ।।
तो फिर इतना नाटक, झूठ की
ज़िन्दगी किसलिए जीना और काहे को ??
जिनके खातिर पाप करते हो
क्या वो सब जाएंगे ऊपर तक संग तुम्हारे ??
ये दुनिया एक रंग मंच है
ये किसी के सगे संबंधी नहीं है
इस दुनिया में रहकर भी
दुनिया के रंग में ना रंगना ही
असली जीवन है
आत्मा के संग जियो ,
ईश्वर के नियमानुसार जीना ही
जीवन का असली उद्देश्य है
इससे यूं व्यर्थ ना गंवाओ
जीवन में सिर्फ सत्य, न्याय , धर्म के
मार्ग पर ही चलना तपस्या है ।।
चाहे आंधी आए, तूफ़ान आए
सारे रिश्ते नाते छूट जाए
सारे सगे, संबंधी, दोस्त मुंह फेर ले
फिर भी जो अकेले हो कर भी
कभी सत्य, न्याय और धर्म के
मार्ग से ना भटके...
ईश्वर के ऊपर से आस्था, विश्वास , प्रेम
ना हटाएं,
वो ही ईश्वर के अति प्रिय होते हैं
वो आख़िर में ईश्वर के संग मिल जाते हैं ।।
यही सारी कठिन परिस्थितियां, निंदा,
अपवाद, अपमान, तिरस्कार,
दुःख, धोखा, फरेब, सब कुछ खो जाना
ये सब जीवन के विद्यालय में
एक एक परीक्षा है
ऊपर की ओर जाने के लिए
जो इन सारे परिस्थितियों का सामना करते हैं
सत्य धर्म न्याय की मूल्य को
कभी भी त्याग नहीं करते हैं
वो ही असली बाज़ीगर है ।।
असली योद्धा है, असली नायक है ।।
