बादशाह की मनचाही चाल
बादशाह की मनचाही चाल
हूकूमत में चलेगी सिर्फ बादशाह की मनचाही चाल,
ग़ुस्ताख़ी मत कीजिए पूछकर उनसे मुश्किल सवाल,
पड़ जाएगा आपके रोज़रोज़ के कामकाज में बवाल,
आपकी ज़िन्दग़ीको कर दिए जाएगा बदतर बद्हाल ।१।
मजबूर वतन का है यह कैसा ख़राब हाल,
ख़ौफ़ अवाम है बुरी तरह से बेचैन बेहाल,
चंद चुने हुए नुमाइंदे हो जाते है मालामाल,
पता नहीं दुरुस्त तिजारत कब होगा बहाल ।२।
कब होंगे ये खुदगर्ज़ हुक्मरान मुनसिफ निहाल,
मग़रूर होकर अपने ग़ुरूर कर रहे है उछाल,
ताक़त की ढाल से कर रहे है तोड़-फोड़ ताल,
ये मनमानी नहीं चल सकती है अब सालोंसाल ।३।