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Raja Sekhar CH V

Abstract

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Raja Sekhar CH V

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तबाह जम्हूरियत

तबाह जम्हूरियत

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कब तक रहनुमा छुपाएंगे असलियत,

मुल्क नहीं है किसीकी भी मिल्कियत,

पूरी तरह से भूल गए है जो इन्सानियत,

तबाह कर चुके है लोगों की जम्हूरियत |१|


अवाम किससे कहाँ करेगी शिकायत,

ज़रा भी साफ़ नहीं है सालार की नीयत,

ख़ादिम को याद दिलानी होगी हैसियत,

के न बिगाड़े वतन की भलीचंगी तबीयत |२|


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