दे दो जेब का खर्च, कह्यौ हँसकर घरवाली। दे दो जेब का खर्च, कह्यौ हँसकर घरवाली।
मैं हूँ ना" जताना परिभाषा ही तो है इश्क की। मैं हूँ ना" जताना परिभाषा ही तो है इश्क की।
पैसा विलासिता खरीद सकता है लेकिन खुशी नहीं। पैसा विलासिता खरीद सकता है लेकिन खुशी नहीं।
“क्यों नहीं!” जिन्न के कहते ही अगले ही क्षण रूपये-हीरे-जवाहरात आ गए। “क्यों नहीं!” जिन्न के कहते ही अगले ही क्षण रूपये-हीरे-जवाहरात आ गए।
अगर सब ख़ुद की सोच बदल ले तो कोई जात पात रुपए पैसे से होने वाले फसाद ही नहीं होंगे। अगर सब ख़ुद की सोच बदल ले तो कोई जात पात रुपए पैसे से होने वाले फसाद ही नहीं ...
मैंने धीरे से कहा वहाँ रोज रुपए नहीं मिलेंगे वहाँ तुम्हें तुम जैसे बच्चे मिलेंगे मैंने धीरे से कहा वहाँ रोज रुपए नहीं मिलेंगे वहाँ तुम्हें तुम जैसे बच्चे मिल...