ख़ुद पर यक़ीन
ख़ुद पर यक़ीन
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अवाम की आवाज़ ना बन
ख़ुद पर यक़ीन कर
ख़ुद सब कुछ लुटा कर
दूसरो का भला क्या होगा
होगा भी तो तू सड़क पर होगा
दूसरा खुशनसीब होगा।
ख़ुद की खुद्दारी को भी
ठेस मत पहुंचने देना
वक़्त पड़ने पर ख़ुद
अकेले ही कहलाओगे।
अगर सब ख़ुद की सोच
बदल ले तो कोई जात
पात रुपए पैसे से होने
वाले फसाद ही नहीं होंगे।
