गवाही देती तारीख़ें
गवाही देती तारीख़ें
किसी शायर ने क्या खूब लिखा है,
"लम्हों ने ख़ता की
सदियों ने सज़ा पायी है"
तारीख़ हर रोज उन लम्हों का
हिसाब रोजनामचों में करती रही
क्या कहा?
तारीख़ों से ख़ता हो गयी....
सुना है कि लिखी हुयी इबारतें
पीढ़ियों तक असर करती है
पंचांग और कैलेंडर गवाही देते है
उन तारीख़ों की
की वे हर वक़्त सच कहती थी
तारीख़े भी कभी इनाम की हक़दार होती है
क्योंकि वे कुछ राज़ पोशीदा रखती है
कभी साज़िशें बेनक़ाब करती है
कुछ तारीख़े निज़ाम बदलने की
कुव्वत रखती है
कुछ तारीख़े सत्ता को चुनौती देकर
हुक्मरानों की नींद उड़ा देती है
कुछ तारीख़े अवाम के जहन में
ताज़ा रहती है
फिर अवाम साथ मिलकर
हर साल उत्सव मनाने लगती है...
