मगर एहसासों की कमी भी बहुत खलती है मगर एहसासों की कमी भी बहुत खलती है
कितनी हसरतों से, सहेज कर सपनों को, महलों को धीरे -से थपथपाती है। कितनी हसरतों से, सहेज कर सपनों को, महलों को धीरे -से थपथपाती है।
प्यार क्या है हकीकत में कोई नहीं जानता! प्यार क्या है हकीकत में कोई नहीं जानता!