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दयाल शरण

Abstract

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दयाल शरण

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संबंध

संबंध

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दोस्ती और दुश्मनी

कभी भी साथ ना कीजिए

जब जो भी कीजिए

मन लगा के कीजिए


दुश्मन हूं मैं गर आपका

शक्लों ख्याल से

लीजे कसम कि फिर मेरा

चेहरा देखा ना कीजिए


शतरंज जानते हैं

यह अच्छी सी बात है

मुहरों सा मुझको यूं ही

इस्तेमाल ना कीजिए


यह दौर आपका है

यह जानते हैं आप

यूं मुखलिसी में मुझको

बदनाम ना कीजिए


सूरज सा बन के उगना

मेरा फितूर है

शब है तो शब ढलेगा

सुबहा का इंतजार तो कीजिए


हर वक्त बदलता है

नई खुशबुओं के साथ

जो दोस्त हैं तब तलक

तो मेरा साथ दीजिए



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