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KHUSHNUMA BI

Abstract Inspirational

4  

KHUSHNUMA BI

Abstract Inspirational

पंखुड़ी

पंखुड़ी

1 min
280


मेरा आसमान है मां का आंचल


पंख खुले हैं मां हाथों में


 बड़ा था मां पर विश्वास


पंखुड़ी हूं अपने आंगन की   ।।


कदम बढ़ाए पापा के संग


सुख दुख के देखे ना हमने रंग


क्योंकि परछाई थे पापा के कदम


पंखुड़ी हूं अपने आंगन की ।।


सपने बुने हैं हमने मां की कहानियां सुनकर


पूरा करने को खड़े हैं पापा संग


धूप की छांव बने हैं पापा


तपन में ठंडक है बनी मां


मेरे अपनों के संसार बिना


अधूरा है मेरा जहां


जिसके साथ हो प्रेम का सागर


सारे जहां से प्यार मेरा अपना जहां


पंखुड़ी हूं अपने आंगन की ।।


बाल से बलवान अपनों का साथ है


जलने वाले बने आज खुद राख है


प्रेम है प्रतिज्ञा अपनों की साथ है


पंखुड़ी हूं अपने आंगन की ।।


प्यास बुझाने को है पानी कम


पर सागर है प्रेम का अपनों का संग


रंग नहीं देखे सुख-दुख के


साथ खड़े हर पल अपने


तपन मिट जाती प्रेम के 


पंखुड़ी हूं अपने आंगन की

पंखुड़ी हूं अपने आंगन की ।।।।



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