सदाबहार खुशहाली कब?
सदाबहार खुशहाली कब?
जन-जन के जीवन में लेकर के,
आएंगे हम सदाबहार खुशहाली।
आपस में नूरा कुश्ती करते-करते,
नेताओं ने अकूत सम्पत्ति जुटा ली।
ईमानदारी का पहन के चोला करते,
रहते जम के मिल जुलकर भ्रष्टाचार।
रह विपक्ष में जोर-शोर से गाली देते,
और शौक से खाते होती जब सरकार।
कभी फली न फोड़ें पर हां जी न छोड़ें,
थूका चाटने की सबने ही योग्यता पा ली।
आपस में नूरा कुश्ती करते-करते,
नेताओं ने अकूत सम्पत्ति जुटा ली।
शिक्षा व्यवस्था तो कुछ कर दी है ऐसी ,
तैयार हुई डिग्रीधारी अनपढ़ों की फौज।
विज्ञापन भ्रम फैलाते शोर मचाते चमचे,
जन-जन की पीड़ा को ठहराते हैं मौज।
कहते वे ही जननायक और सर्व हितैषी,
शोषण करते रहते बदल-बदल कर पाली।
आपस में नूरा कुश्ती करते-करते,
नेताओं ने अकूत सम्पत्ति जुटा ली।
स्व जागरूकता ही तो एकमात्र उपाय है,
बिन जागृति स्थिति में नहीं होगा बदलाव।
रह सजग ज्ञान दीप से अज्ञान तम मिटाएं,
साहस धैर्य का होगा सकारात्मक प्रभाव।
रखें सुदृढ़ अपना आत्मविश्वास नियोजन,
जन-जन की जागरूकता होगी प्रभावशाली।
मन से स्वार्थ त्याग अंतर्मन में जो हो वैराग्य,
सबके प्रति रखें सब अपनेपन के भाव आली
जब समाज के सब जन होंगे दृढ़ संकल्पित,
परहित भाव से ही आए सदाबहार खुशहाली।