उलझे हैं...
उलझे हैं...
इस तरह से आपकी यादों में उलझे हैं ,
लगता सुलझे सुलझे फिर भी उलझे हैं...
क्या खता हुई हमसे कह दिया होता,
खुद खुद की रंजिशो में भी उलझे हैं ...
संभाल लिया होता खुद को आपके लिये,
काश एकबार ,सोचकर भी उलझे हैं ...
कितने दिनो के बाद आप मिले हम से,
हम तुम वही खामोशियों में भी उलझे हैं...
चल एक बार फिर से सफर शुरू करें,
मंजिल को पाके मंजिलो में भी उझले हैं...
हार जाना चाहते हैं कब तक जूडकर रहे,
जुदा हो गये हम जुदा होकर भी उलझे हैं...