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RAJNI SHARMA

Tragedy Action

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RAJNI SHARMA

Tragedy Action

दिल के जज़्बात

दिल के जज़्बात

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फनां होकर तमाम दिल के जज़्बात कह दूँ

वफ़ा से वफादारी पाऊँ ये ज़रूरी तो नहीं।।


मन के एहसासों से इश्क लगाऊँ

मुहब्बत में मुहब्बत को पाऊँ ये ज़रूरी तो नहीं।


अ! जिंदगी के रहगुज़र ख़ामोशी को पढ़ लेना

दामन को थामना ये कोई ज़रूरी तो नहीं।।


इधर उधर निगाहें मिल भी जाए ग़र तुमसे

इल्तिज़ा को जान जाओ ये जरूरी तो नहीं।।


सहमे हाथों की कंपन होकर जो गुजरे तुमसे

जज़्बात महसूस कर पाओ ये ज़रूरी तो नहीं।।


ताउम्र उम्मीद से इंतज़ार में पलकें बिछाऊँ

क़दमों में फूलों की सेज सजाना ज़रूरी तो नहीं।।


अधरो पर टपकते लफ्ज़ो के गीत गुनगुनाऊँ

तुम ही मेरे गीतों के मीत बनो ये ज़रूरी तो नहीं।।


दिल की जिन गहराइयों में मैं डूब जाऊँ

तुम भी गोता लगाओ तो ये ज़रूरी तो नहीं।।


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