कोशिश की थी
कोशिश की थी
कोशिश तो बहुत की थी उनको समझाने की हमने,
मगर शायद हमारे अल्फाज़ समझ नहीं आते उन्हें।
उनकी सारी कड़वी बातें भी चुपचाप सुन ली हमने,
मगर शायद हमारी ख़ामोशी नहीं समझ आई उन्हें।
सह लिए उनके दिए हर ज़ुल्म-ओ-सितम हमने,
मगर शायद भीतर की आह महसूस नहीं हुई उन्हें।
मुस्कुराते हुए उनको संभाला था वो हालात में हमने,
मगर शायद हमारी आँखों के आँसू नहीं दिखे उन्हें।
इतने दर्द के बाद भी हरदम उनका साथ दिया हमने,
मगर शायद मेरा प्यार नहीं समझ में आया उन्हें।
