नववर्ष नवउमंग
नववर्ष नवउमंग
नव कामना नव उमंग
मन भावन किरणमई संग
नवल सवेरे का छाया है
नव वर्ष पुनः आया है।
सूनी शाखा पीले पर्ण
बसंत का होगा आगमन
धैर्य हृदय समाया है
नव वर्ष पुनः आया है।
ठिठुरन से काँपती रातें
गरमी की उजली सौगातें
वर्षा साथ सतरंगी माया है
नव वर्ष पुनः आया है।
स्वार्थ वेदना का हो अंत
हकदार को मिले हक
कतर्व्य ने अधिकार पाया है
नव वर्ष पुनः आया है।
पक्षी ख़्वाबों के नीड़ बुन
अम्बर में पंख पसारे
बेघर ने घर बनाया है
नव वर्ष पुनः आया है।
