जिंदगी रथ का पहिया।
जिंदगी रथ का पहिया।
धूप छटाना संध्या का है काम,
पाप-पुण्य धोना गंगा का काम।
माना विदा होना सबने एक दिन,
लौटकर फिर नहीं वापिस आना।
पर्वत नदिया जंगल सब दब जाने,
माया उनकी जिसने सब इंसान बनाने।
दुआ मांगते कोई भी नहीं जाए,
सृष्टि में सब कुछ ठीक-ठाक रहे।
रंग-बिरंगे फूलों को भी तो खिलाना,
पंछी सा बनकर एक दिन उड़ जाना।
जिंदगी एक रथ का पहिया है ना,
तो जिंदगी भर हंसते-हंसाते जीना।
हम सबने एक दिन सदा के लिए जाना,
तब तक जिंदगी का भरपूर लुत्फ उठाना।
