नेता जी
नेता जी
झूठी कागज की नाव लेकर,
हकीकत बयां करते हैं।
बैठ कर जनता के पैसों में,
ईमानदारी की वाणी बरसते हैं।।
हया ना जाने कहाँ छोड़ आते,
लोगों के घर घर वोट मांगने।
झूठी कसमें वादे करते,
और नई रोजगार, नोट बाटने।।
धर्म - जात की गाते गुण गान,
कहते मिलकर करेंगे शासन।
आशा की डोर में बांध कर,
पकड़ के बैठ मस्त हैं आसन।।
जमाखोरी और घूसखोरी,
सभी नेताओं की ये कला।
देखते ही खादी पोशाक,
लोग कहते हैं देखो बला।।
और ये भी कहते हैं कि,
हमारे आते ही कुर्सी में लगेंगे कुछ चंद।
ढेर सारी लाएंगे बदलाव,
पर जनता की विश्वास फंद (बेकार)।।
