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Sanam Writer

Inspirational

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Sanam Writer

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अभिमन्यु

अभिमन्यु

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लिखा कर्ण पर लिखा कृष्ण पर लिखा चीर हरण भी मैंने

अब बारी अभिमन्यु की है 'सनम' के शब्दों में बंधने की


युद्ध जीतने दुर्योधन ने षड्यंत्र अनेकों रच डाले

अर्जुन के आगे हार गए पर कौरव सारे मतवाले

गुरु द्रोण ने व्यूह रचाया पर अर्जुन तो ज्ञानी था

दूर किया रणभूमि से उसको जिसका ना कोई सानी था


चक्रव्यूह में फस जाए जो युदिष्ठिर एक बार

फिर सुनिश्चित हो जाएगी पांडव सेना की हार

था कौन जिसे था ज्ञान व्यूह का कौन सामना करता इसका

आया एक बालक कहा कि मुझको थोड़ा ज्ञान है चक्रव्यूह का


मैं अर्जुन का पुत्र भांजा हूँ भगवान कृष्ण का मैं

तात श्री मुझको जाने दें भेद दूंगा व्यूह को मैं

है ज्ञान अभी भी आधा मुझको प्रवेश तो कर जाऊंगा

पर कदाचित जीवित रहकर वापस ना आ पाऊंगा


पुत्र अभी तुम बालक हो तुमको कैसे मैं जाने दूँ

द्वार काल का है व्यूह तुम्हें साहस कैसे दिखलाने दूँ

अर्जुन से क्या बोलूंगा मैं वासुदेव को क्या बतलाऊंगा

जब पूछेगी मुझसे स्वयं उत्तरा तो कुछ ना कह पाऊंगा


ना माना अभिमन्यु चला गया चक्रव्यूह के अंदर

देख उसका साहस सहम गए द्रोण और कर्ण

अंदर जाकर दुर्योधन के पुत्र का वध भी कर डाला

एक अकेले बालक ने कौरव सेना को कुचल डाला


फिर कौरवों ने अपनी कायरता सबको दिखलाई

एक अकेला बालक था दुर्योधन संग थे कई भाई

दुशासन और शकुनि ने किया पीछे से वार

परशुराम के शिष्यों ने भी किया पूरा आघात


वीर गति को प्राप्त हो गया एक वीर रणभूमि में

जिसका रक्त भी मिल गया कुरूक्षेत्र की भूमि में

कृष्ण सुभद्रा अर्जुन उत्तरा सभी की आँखें भर आई

जिसने जन्म दिया इस वीर को धन्य धन्य है वो माई।


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