Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Sanam Writer

Abstract

4  

Sanam Writer

Abstract

चुप्पी में बैठा है शोर

चुप्पी में बैठा है शोर

1 min
416


वो चाँद आज कुछ उदास सा है

लगता किसी बात पर हताश सा है

चुप चाप देख रहा है बस धरा की ओर

शायद उसकी चुप्पी में बैठा है शोर


हर वो जन जो ठगा गया है नेता से

हर वो पल जो बीत चुका प्रतीक्षा में

हर आँख चुप है देख रही समय की ओर

शायद उसकी चुप्पी में बैठा है शोर


पक्षी डाल पर बैठा देख रहा हत्यारा

उसका घर ले गया है एक लकड़हारा

मगर वो चुप है देखता गगन की ओर

शायद उसकी चुप्पी में बैठा है शोर


कलम काँप रही लिखना ज़रा बंद है

उस कवि से आज रूठे हुए छंद हैं

चुप रहकर देखता है कलम की ओर

शायद उसकी चुप्पी में बैठा है शोर


उस किसान का घर ज़रा कच्चा है

उस घर में भूखा सोया बच्चा है

चुप रहकर देखता है बादल की ओर

शायद उसकी चुप्पी में बैठा है शोर


हर तरफ सन्नाटा है और चुप्पी है

जैसी भी है दुनिया मगर अच्छी है

चुप्पी टूटेगी जाएगी आवाज़ की ओर

हर एक चुप्पी में यहाँ बैठा है शोर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract