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Sanam Writer

Abstract

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Sanam Writer

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चुप्पी में बैठा है शोर

चुप्पी में बैठा है शोर

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वो चाँद आज कुछ उदास सा है

लगता किसी बात पर हताश सा है

चुप चाप देख रहा है बस धरा की ओर

शायद उसकी चुप्पी में बैठा है शोर


हर वो जन जो ठगा गया है नेता से

हर वो पल जो बीत चुका प्रतीक्षा में

हर आँख चुप है देख रही समय की ओर

शायद उसकी चुप्पी में बैठा है शोर


पक्षी डाल पर बैठा देख रहा हत्यारा

उसका घर ले गया है एक लकड़हारा

मगर वो चुप है देखता गगन की ओर

शायद उसकी चुप्पी में बैठा है शोर


कलम काँप रही लिखना ज़रा बंद है

उस कवि से आज रूठे हुए छंद हैं

चुप रहकर देखता है कलम की ओर

शायद उसकी चुप्पी में बैठा है शोर


उस किसान का घर ज़रा कच्चा है

उस घर में भूखा सोया बच्चा है

चुप रहकर देखता है बादल की ओर

शायद उसकी चुप्पी में बैठा है शोर


हर तरफ सन्नाटा है और चुप्पी है

जैसी भी है दुनिया मगर अच्छी है

चुप्पी टूटेगी जाएगी आवाज़ की ओर

हर एक चुप्पी में यहाँ बैठा है शोर।


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