मुक्तक...। मुक्तक...।
अगर आज मानेगा हार तो कल क्या खायेगा।। अगर आज मानेगा हार तो कल क्या खायेगा।।
मेरा मन टटोल रहा है सुनो नववर्ष कुछ बोल रहा है। मेरा मन टटोल रहा है सुनो नववर्ष कुछ बोल रहा है।
चिड़ियों की चहचहाहट से प्यारे, जीवनमय बगिया खिलखिलाती मिलेगी।। चिड़ियों की चहचहाहट से प्यारे, जीवनमय बगिया खिलखिलाती मिलेगी।।
ऐ साकी कभी तो वो जाम ए इनायत हमें भी पिलाओ कहां जा रहे हो। ऐ साकी कभी तो वो जाम ए इनायत हमें भी पिलाओ कहां जा रहे हो।
चुप्पी टूटेगी जाएगी आवाज़ की ओर हर एक चुप्पी में यहाँ बैठा है शोर। चुप्पी टूटेगी जाएगी आवाज़ की ओर हर एक चुप्पी में यहाँ बैठा है शोर।