सुनो नववर्ष कुछ बोल रहा है
सुनो नववर्ष कुछ बोल रहा है
सुनो नववर्ष कुछ बोल रहा है
बीते साल की फुसफुसाहट में,
नववर्ष मृदुल अधर खोल रहा है,
जरा गौर फरमाइएगा जनाब,
अजन्मा नववर्ष कुछ बोल रहा है,
तैयार हो ना,मेरे स्वागत के लिए,
हर चुनौती,अवसर और आफत के लिए,
आ रहा हूं मैं असंख्य संभावनाएं लेकर,
तैनात रहना तुम आवभगत के लिए,
खुशियां बहुत है मेरी झोली में,
तकलीफें,मौके और संघर्ष भी,
कुछ तजुर्बे भी भेंट स्वरूप दूंगा,
संग आएंगे अपकर्ष और उत्कर्ष भी,
चोटिल ठोकरों से ना घबराना तुम,
हौसला बांधकर कदम बढ़ाना तुम,
गर्म तपिश के बाद ठंडे झोंके भी मिलेंगे,
बस धैर्य का दामन ना छोड़ जाना तुम।
अजन्मे नववर्ष की गुफ्तगू,
मेरा मन टटोल रहा है
सुनो नववर्ष कुछ बोल रहा है।
