मीठे पल के प्याले
मीठे पल के प्याले
कुछ मीठे पल के प्याले थे,
कुछ मंडराएं बादल काले थे,
उस उपरवाले के इशारों पर,
सब ठुमक रहे नीचे वाले थे,
कुदरत ने दिया यह सबको सिखा ,
मिटता नहीं कभी भाग्य का लिखा,
खुशनुमा पलों की यादें भी मिली खूब,
और बेहिसाब दर्द भरा मंजर भी दिखा,
खो गए कुछ अपने, जो थे बेहद करीबी,
अमीरों ने भी चखी है, इस साल गरीबी,
शोहरत, दौलत, रुतबा, सब हुए बेमाने से,
करवटें ली है साल ने बेहद फरेबी।