STORYMIRROR

Nandita Majee Sharma

Inspirational Others

3  

Nandita Majee Sharma

Inspirational Others

तृष्णा

तृष्णा

1 min
157

बूंद-बूंद को तरस रहा,

देखो सारा संसार,

तृष्णा कैसे मिटे भला,

चहूँ ओर फैला हाहाकार,


त्राहि त्राहि का शोर है,

तड़प रहा है जीवन,

कतरे-कतरे को तरसे,

आज धरा के जन-गण,


लिया सूर्य ने रुप भयंकर,

तापमान का चढ़ा पारा,

भानु के प्रचंड तपिश के आगे,

आधुनिक विज्ञान भी हारा,


बूंद बूंद का मान रखो,

व्यर्थ कर ना करो मनमानी,

संरक्षण कर प्रकृति बचाओ,

पिलाओ हर प्यासे को पानी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational