मिट्ठू
मिट्ठू
एक तोता था प्यारा सा
एक पिंजरे में वो रहता था।
जब पूछो उसका नाम
मिट्ठू मिट्ठू कहता था।
हरा हरा था उसका रंग
हरी मिर्ची पर मरता था।
सारा दिन मिर्ची खाके
टाय टाय वो करता था।
एक तोता था प्यारा सा
एक पिंजरे में वो रहता था।
आते जाते मेहमानों पर
नजर वो पैनी रखता था।
चोरों से भी घर की वो
रखवाली करता था।
बहुत खुश थी उसकी मालकिन
रोज इनाम देती थी।
उसकी प्रशंसा मे वो
तारीफों के पुल बांध देती थी।
एक तोता था प्यारा सा
मिट्ठू मिट्ठू करता था।
दूर किसी नगर मे वो
एक पिंजरे में रहता था।
