चाह
चाह
पानी है तुमको अगर,अपनी अपनी राह।
चलनी होगी उस डगर,जिसकी जैसी चाह।।
जिसकी जैसी चाह, वही होते हैं वैसे।
कर्मों का है मेल, यहां बनते हैं जैसे।।
चलते रहना काम,जहां है तुझको जाना।
डटे रहो तुम राह, यहां तुमको है पाना।।
पानी है तुमको अगर,अपनी अपनी राह।
चलनी होगी उस डगर,जिसकी जैसी चाह।।
जिसकी जैसी चाह, वही होते हैं वैसे।
कर्मों का है मेल, यहां बनते हैं जैसे।।
चलते रहना काम,जहां है तुझको जाना।
डटे रहो तुम राह, यहां तुमको है पाना।।