मानसून
मानसून
कितना प्यारा राज है तू
रोने वाले के आंसू छुपाता है तू
कितना प्यारा रिश्ता है तू
एक गरीब का दुःख समझता है तू
कितना प्यारा दोस्त है तू
समर मे भी बरसता है तू
कितना प्यारा सच है तू
जरुरत होने पर रुठ्ता है तू
कितना प्यारा किरदार है तेरा
कोई नहीं केह सकता तुझे तेरा मेरा
कितना प्यारा हमसफर है तू
हर साल वापस जरूर आता है तू
कितना प्यारा प्यार है तू
अपने प्यार को जलता देख नही सकता तू
कितना प्यारा पिता है तू
बूँद बूँद मिल कर समुंदर है तू
कितना प्यारा झूठ है तू
मैं आऊंगा बोल कर गरीब की नींद उडाता है तू
कितना प्यारा मानसून है तू
सच झूठ का फर्क भी नहीं समझता है तू।
