ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है ?
ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है ?
जब कभी उम्मीद की एक किरण दिखाई देती है,
तभी काले बादल रूपी रूकावटें दस्तक दे जाती है,
जब कभी मैं खुश होने की कोशिश करता हूं,
तभी ग़म की चादरें मुझे अपनी ओर खींच लेती है,
जब कभी अपने सपनों की उड़ान भरने की सोचता हूं,
तब कोई न कोई मुश्किल सामने खड़ी हो जाती है,
हर बार मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है,
आखिर क्यों मेरे पास आते आते खुशियां,
दुखों के गहन सागर में गोते लगाने लग जाती है,
शायद कुछ कमी मेरी कोशिशों में रह जाती है,
शायद कुछ ज्यादा पाने की कोशिश में रहता हूं,
जिस खातिर मेरी खुशियों पर नजर लग जाती है,
या फिर मेरी किस्मत मेरे साथ खेल रही कोई खेल है,
जिससे मैं अनजान खुद को ही दोषी मान रहा,
न जाने क्या राज है पर कोशिश यूं बरकरार रहेगी,
हार मिले या जीत हर परिणाम को स्वीकार करूंगा,
जिंदगी से न कोई अब शिकायत करूंगा,
मिलता नहीं हर किसी को मां की ममता,
न अपनों का प्यार,
मिला है मानव जीवन उसको खुल कर जीऊंगा,
हर पल को खुशी के साथ जीने की कोशिश करूंगा,
ग़म के साए में खुशियों की तलाश करूंगा,
मुश्किलो का डटकर सामना करने की कोशिश करूंगा,
अब न कहूंगा कभी ऐसा कि हर बार मैं ही क्यों ?
मिला है मानव जीवन उसका सदुपयोग करूंगा।
