बचपन और गांव
बचपन और गांव
आइए आपको उस जगह ले चलूं,
जिन्दगी के बहुत से खजाने छिपे हैं।।
जहां मुस्कराती सुबह भी मिलेगी,
वहीं खूबसूरत बचपन खिले हैं।।
सोंधी-सोंधी खुशबू से मिट्टी सनी है,
बनफूल के महकते गुलशन खिले हैं।।
पोपले चेहरे पर हंसी भी ठहरती,
दादी-नानी के सुन्दर रिश्ते मुस्कुराते।।
आंधी -पानी का मजा भी बहुत है,
अमराई में मंजरियां खिली है।
चिड़ियों की चहचहाहट से प्यारे,
जीवनमय बगिया खिलखिलाती मिलेगी।।