मन
मन
1 min
525
मन से मन का जब मेल हुआ,
मन ही मन में सब खेल हुआ।।
मन इधर -उधर है भटक रहा,
मन मन के बिन है तड़प रहा।।
मन ही सब वेदना का है कारण,
मन ही दुविधा का है निवारण।
मन है समोद तो जग समोद,
मन से ही आता है प्रमोद।।
मन को मानव दे अब धीर तू,
मन से मानव हो गंभीर तू ।।