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ananya rai

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मेरे राम जी

मेरे राम जी

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( मनहरण घनाक्षरी छंद )


विनती करूं मैं नाथ, दर पे टिका के माथ,

एक क्षण मुझे भी निहारो मेरे राम जी।


जैसे दस शीश के कुटुम्ब को उतारा ठीक,

वैसे मुझे भव से उतारो मेरे राम जी।


सबकी सँवारो आप, बिगड़ी हे! दया सिंधु,

सुनो एक मेरी भी सँवारो मेरे राम जी।


जैसे शबरी के यहां, आये बेर खाने आप,

वैसे मेरे घर भी पधारो मेरे राम जी।



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