सुहानी शाम
सुहानी शाम
चुनरिया ओढ़ लो सजनी,
सुहानी शाम आयी है।
खिली है सरसों बासन्ती,
धड़कनें तेरी याद लायी हैं।
आम्रतरु हो गए मुकुलित,
मंजरिया खिल रही हैं।
दिशाएं हो गईं सुगन्धित,
लालिमा साथ लायी हैं।
मेरा हृदय भी प्रेम रस से परिपूर्ण है
फिर भी प्यासा है,
अब आ भी जाओ हृदयवर,
विवशता जान पर आयी है।।