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हसरतें

हसरतें

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जी लो हसरतों के संग आज

परेशानियों संग तो रोज जीते हैं,


ढाल लो आँगन में खटिया

नर्म गद्दों पर तो रोज सोते हैं,


चुल्हे पे सेंको आज रोटी

माँ के हाथों का स्वाद पाओगे,


तारों की गिनती कर देखो

फिर से बचपन में लौट जाओगे,


खुली हवा में साँस जो लोगे

मन का कोना महक उठेगा,


हसरतों के पंख लगेंगे

नयी उमंग मन में पाओगे,


एक उड़ान स्वछंद भरो तुम

खुद पे इत्मीनान पाओगे,


जी लो हसरतों संग आज

परेशानियों को दूर पाओगे।।


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