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Vimla Jain

Children Stories

4.7  

Vimla Jain

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सपने में परीलोक की सैर

सपने में परीलोक की सैर

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35


आज रात में सपना देखा

परियों के देश में घूमकर देखा

घूमते घूमते हम वहां पहुंच गए।

जहां परियों का है बसेरा

निश्छल, निर्मल देश में वहाँ,  

परियों का बसेरा है।  

हर दिशा से आती मधुर वाणी,  

जैसे स्वर्ग से घेरा है।  


वहाँ फूलों की घाटियाँ हैं,  

और कलियाँ खिलतीं मुस्कान से।  

तितलियाँ उड़ती रंग-बिरंगी,  

सजीव हुई हर एक शान से।  


नदियाँ भी चलती मंत्रमुग्ध हो,  

जैसे गाती हों कोई गीत।  

परियाँ नाचें उनके किनारे,  

पहने पंख सुनहरी प्रीत के।  


पेड़ों की शाखाओं पर झूले,  

बच्चों के खिलखिलाते चेहरे।  

हवा में घुली है खुशबू,  

जैसे बसंती बयार फेरे।  


रात को जब चाँद आए,  

चमकीली धूल बिखेरे।  

परियों के देश में तब,  

सितारों की रोशनी ठहरे।  


इस जादू भरे देश में,  

हर कोने में खुशियों का पेड़।  

सपनों का संसार जहां,  

वहीं परियों का देश ।


अभी हम देश में घूम ही रहे थे,

कि मां की आवाज जोर से आई।

 उठो उठो देर हो रही है ,

स्कूल नहीं जाना है क्या ?

एक बार, दो बार नहीं उठे

तो आकर उन्होंने चद्दर हटाई ,

औरजोर से डांट लगाई।


फिर प्यार से पुचकार कर बोली क्या हो गया तुम क्यों नहीं उठीं?

मैंने कहा आपने हमारे सपने को तोड़ दिया ।

हम तो परीलोक में घूम रहे थे आपने वहां से वापस बुला लिया।

अब मैं वापस परी लोक में कब जाऊंगी कब मैं वहां की सुंदर सैर कर पाऊंगी?

मां बोली सपने तो सपने होते हैं हकीकत यह है, उठो स्कूल जाओ।

अपनी पढ़ाई को अच्छे से कर, अपनी मंजिल को तुम पाओ।

अपनी जिंदगी को खुशहाल बनाओ।



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